Gajal
ग़ज़ल । हिन्दी शायरी
By- Naru shayar
मुझे अपने हाथो अपना मुकद्दर बनाना है
मै क्या हूँ ये सारे ज़माने को बताना है
फैला चुके नफरत बंद करो अब जुबाँ अपनी
इस दुनिया को अब गीत मोहब्बत का सुनाना है
ये कलम मेरी यू ही नहीं चलती लोगो
ये जानती है किसी से किया वादा निभाना है
तु बीज बो चुके इस चमन में अपनी दहशत के
मुझे भी शांती के फूल यही पर खिलाना है
ज़माने के सितम से मै हिम्मत नहीं हारने वाला
नाकामी के पथ पर मुझे कामयाबी के दिप जलाना है
तुम यू ही तनहा छोड़ गए मुसाफिर को घर अपने
मुझे यहाँ से अपना रास्ता अब खुद बनाना है
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1 टिप्पणियाँ
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