ब्रह्माण्ड (Univers) , बिग बैंग सिद्धान्त (Big Bang theory) , डॉप्लर विस्थापन ,कृष्ण छिद्र (Black Hole ) , मंदाकिनी( Galaxies) , सौरमण्डल( Solar System) ,सूर्य(Sun) - Univers Fact

ब्रह्माण्ड

सामान्यतः पृथ्वी, ग्रहों, उपग्रहों, तारों तथा आकाशगंगाओं के सम्मिलित पुंज को ब्रह्माण्ड की संज्ञा दी जाती है। यह आकार तथा परिमाण में बहुत बड़ा है, इसमें छोटे-छोटे परमाणु तथा धूमकेतु से लेकर आकाशगंगाओं तक के बड़े समूह पाए जाते हैं। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के निम्न सिद्धान्तों का वर्णन इस प्रकार है।


बिग बैंग सिद्धान्त

इस सिद्धान्त के अनुसार, आज से करीब 15 अरब वर्ष ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक बड़े विस्फोट से हुई। विस्फोट के उपरान्त विस्तार के फलस्वरूप वर्तमान ब्रह्माण्ड का स्वरूप प्राप्त हुआ।


डॉप्लर विस्थापन

इसके अन्तर्गत आकाशगंगाओं से आने वाले प्रकाश के स्पैक्ट्रम के आधार पर विश्व के विस्तार का पता लगाया गया है।

यदि स्पैक्ट्स में रक्त विस्थापन (Red shift) की घटना हो, तो प्रेक्षित आकाशगंगा पृथ्वी से दूर भाग रही है और यदि स्पैक्ट्रम में बैंगनी विस्थापन (Violet shift) हो तो आकाशगंगा के पृथ्वी के नजदीक जाने का संकेत मिलता है। चूँकि अभी तक स्पैक्ट्रम में रक्त विस्थापन के ही प्रमाण मिले हैं।

अतः ये अनुमान लगाया जाता है कि आकाशगंगा दूर भाग रही तथा ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है।


कृष्ण छिद्र

अत्यधिक घनत्व वाले पदार्थ से निर्मित ऐसा खगोलीय पिण्ड, जिसका गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि इससे कोई भी पदार्थ (प्रकाश भी) पलायन नहीं कर सकता, कृष्ण छिद्र (Black Hole) कहलाता है।


मंदाकिनी

• ब्रह्माण्ड में असंख्य मंदाकिनियाँ (Galaxies) हैं, वह मंदाकिनी जिसमें हमारा सौरमण्डल स्थित है, आकाशगंगा या मिल्की वे कहलाती है। इसको नंगी आँखों से देखा जा सकता है, अंधेरी बादल रहित रातों में यह एक उजली सर्पिलाकार पट्टी जैसी दिखाई देती है।


●आकाशगंगा की निकटतम मंदाकिनी 'देवयानी' (Andromeda) है, जो हमारी आकाशगंगा से 22x108 प्रकाश वर्ष दूर है।

  •  'ड्वार्फ' मंदाकिनी नवीनतम ज्ञात मंदाकिनी है।

'एडविन पी हब्बल' (अमेरिका) ने वर्ष 1925 में सर्वप्रथम बताया कि आकाशगंगा के अलावा ब्रह्माण्ड में अन्य मंदाकिनियाँ भी हैं।

आकाशगंगा का सबसे चमकीला तारा (सौरमण्डल के बाहर) 'साइरस' (Dogstar) है।

प्रोक्सिमा सेन्चुरी हमारे सौरमण्डल का सबसे नजदीकी तारा है, जो पृथ्वी से 4.25 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।



सौरमण्डल

• 1543 ई. में सर्वप्रथम कोपरनिकस (पोलैण्ड) ने पृथ्वी के स्थान पर सूर्य को केन्द्र में स्वीकार किया तथा सौरमण्डल की खोज की।

ग्रहों, उपग्रहों, धूमकेतु, उल्काएँ, एस्टेरॉयड आदि को संयुक्त रूप से सौरमण्डल कहते हैं।

सौरमण्डल में कुल आठ ग्रह हैं— बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण।


सूर्य से बढ़ती दूरी के आधार पर ग्रहों का क्रम इस प्रकार है

बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस (अरुण), नेपच्यून (वरुण) ।


आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम इस प्रकार है

बृहस्पति, शनि, यूरेनस (अरुण), नेपच्यून (वरुण), पृथ्वी, शुक्र, मंगल, बुध।


पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। प्रत्येक ग्रह द्वारा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा करने में लगा समय उस ग्रह का एक 'वर्ष' कहलाता है। यह अवधि सूर्य से ग्रह की दूरी पर निर्भर करती है।

सूर्य के चारों ओर घूमने वाले ग्रह अपनी ही धुरी (अक्ष) पर भी घूमते हैं। उनके एक चक्कर की अवधि को उनका एक दिन कहते हैं (यद्यपि ग्रहों के अपनी धुरी पर घूमने की गणना पृथ्वी के दिनों के अनुसार की जाती है)।



सूर्य

सूर्य (Sun) सौर परिवार के केन्द्र में स्थित है तथा यह सौर परिवार का सबसे बड़ा सदस्य है। इसके केन्द्र का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेण्टीग्रेड एवं सतह का तापमान लगभग 6000 डिग्री सेण्टीग्रेड होता है।


सूर्य की ऊर्जा, इसके अन्दर स्थित हाइड्रोजन के हीलियम में संलयन (Fusion) के कारण उत्पन्न होती है। सूर्य के द्रव्यमान का 70% भाग हाइड्रोजन, 28% हीलियम और 2% अन्य भारी तत्त्व (जैसे-लीथियम से यूरेनियम) हैं।


सूर्य की सतह पर कुछ काली रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं। इन्हें फ्रानहॉफर रेखाएँ कहा जाता है। इसके अतिरिक्त सूर्य पर अनेक काले धब्बे हैं। प्रत्येक ग्यारह वर्षों के समयान्तराल बाद में इन धब्बों की संख्या निम्नतम से उच्चतम और फिर उच्चतम से निम्नतम होती रहती है। यह समयान्तराल 'सौर-धब्बा चक्र' कहलाता है।

सूर्य की आयु लगभग 5 अरब वर्ष है, इसके प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 8 मिनट 16.6 सेकण्ड लगते हैं।


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