कोलाइडी विलयनों का शुद्धिकरण

कोलाइडी विलयनों का शुद्धिकरण


कोलाइडी विलयनों का शुद्धिकरण 

कोलाइडी विलयनो का शुद्धिकरण की कई विधिया प्रचलित है जिनमें से प्रमुख हैं :- 

अपोहन

वैधुत अपोहन

अतिसूक्ष्म निस्यदन आदि 


i) 

अपोहन (Dialysis )

यह एक उपयुक्त झिल्ली द्वारा अपोहन करके कोलॉइडी विलयन में से घुले हुए पदार्थो
को निकालने का प्रक्रम है। चूँकि वास्तविक विलयन के कण (आयन या छोटे अणु)
जातव झिल्ली (ब्लैडर), पार्चमेन्ट पत्र या सेलोफेन शीट में से निकल सकते हैं परंतु
कोलॉइडी कण नहीं, अतः झिल्ली को अपोहन में प्रयुक्त किया जा सकता है। इस
में
उद्देश्य के लिए प्रयुक्त उपकरण अपोहक कहलाता है। कोलॉइडी विलयन से भरा
एक उपयुक्त झिल्ली का बैग एक पात्र में लटकाया जाता है जिसमें से होकर जल
निरंतर बहता रहता है । अणु एवं आयन झिल्ली में से विसरित होकर
बाहरी जल में आ जाते हैं एवं शुद्ध कोलॉइडी विलयन शेष रह जाता है।

■ वैद्युत् अपोहन

साधारणतया अपोहन का प्रक्रम बहुत मन्द होता है। यदि अशुद्ध कोलॉइडी विलयन
में विलेय पदार्थ केवल वैद्युत अपघट्य हो तो इसे विद्युत-क्षेत्र लगाकर तेज किया जा
सकता है। तब इस प्रक्रम को वैद्युत् अपोहन नाम दिया जाता है। कोलॉइडी विलयनको एक उपयुक्त झिल्ली के बैग में रखा जाता है तथा शुद्ध जल को बाहर लिया।
जाता है। चित्र 5.10 में दर्शाय अनुसार कक्ष में इलैक्ट्रोड लगाये जाते हैं। कोलॉइडी
विलयन में उपस्थित आयन विपरीत आवेश वाले इलेक्ट्रोडों की ओर झिल्ली से बाहर
गमन कर जाते हैं।

अपोहन और वैधुत अपोहन को आप 3D animation video से समझ सकते हैं 👇👇





अतिसूक्ष्म निस्पंदन


अतिसूक्ष्म निस्यंदन वह प्रक्रम है जिसमें विशेष रूप से निर्मित निस्पंदक (फिल्टा)
द्वारा, जो कि कोलॉइडी कणों के अलावा अन्य सभी पदार्थों के लिए पारगम्य होता
है, कोलॉइडी विलयन में उपस्थित विलायकों एवं घुलनशील विलेयों को पृथक किया
जाता है। कोलॉइडी कण सामान्य निस्पंदक पत्र में से गुजर सकते हैं क्योंकि इनके
रंध्र बहुत बड़े होते हैं, किंतु कोलॉइडी कर्णो को निकलने से रोकने के लिए निस्पंदक
को कोलोडियन में संसेचित कर इसके रंध्रों का आकार छोटा किया जा सकता है।
सामान्य कोलोडियन ऐल्कोहॉल एवं ईथर के मिश्रण में नाइट्रोसेलुलोस का 4%
विलयन होता है। एक अतिसूक्ष्म निस्पंदक पत्र को एक कोलोडियन विलयन में
भिगोकर, फर्मेल्डिहाइड में कठोर बनाकर एवं अंत में सुखाकर बनाया जा सकता है।
इस प्रकार के अतिसूक्ष्म निस्यंदक पत्र का प्रयोग कर कोलॉइडी कणों को अन्य पदार्थों
से पृथक किया जा सकता है। अतिसूक्ष्म निस्यंदन एक धीमा प्रक्रम है। प्रक्रम की गति
बढ़ाने के लिए दाब या चूषण का प्रयोग किया जाता है। शुद्ध कोलॉइडी विलयन प्राप्त
करने के लिए निस्यंदक पत्र पर शेष बचे कोलॉइडी कणों को ताज़े परिक्षेपण माध्यम
(विलायक) के साथ हिलाया जाता है।

अतिसूक्ष्म निस्यदन को आप 3D animation video से समझ सकते हैं 👇👇👇




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ