Top 50 Love Shayri In Hindi
50+ Best 2 Line Love Shayri In Hindi
Love Shayri लव शायरी
आज फिर यादों ने दस्तक दी,
और जहन में उनका चेहरा छा गया,
कुछ बीते लम्हे छू गए फिर से,
और ज़ुबां पे उनका नाम आ गया..!!
सुनो आज अपनी क़िस्मत सुनाता हूँ।
गिरता बहुत हूँ, पर वक़्त रहते संभल जाता हूँ।
वैसे हमदम मेरे बहुत सारे है।
पर ज़रूरत पर दोनों हाथ ख़ाली पाता हूँ।
सोचा था इस साल उसे भूल जाऊँगा।
खुद को हर लम्हा उसके क़रीब पाता हूँ।
मैंने ख़ुद बग़ावत कई बार करनी चाही।
उसकी एक आवाज़ औऱ मैं खुद को चलता पाता हूँ।
तकलीफ़ कितनी भी हो इस बेबस दिल को।
मग़र ख़ुद को मुस्कुराता पाता हूँ।
मुझे आबाद करने में चांद तारे सब थे।
आज भीड़ में भी ख़ुद को अकेला पाता हूँ।
किसी ने कहा था मुझसे हँसने से ग़म दूर हो जाते है।
अब समझे मैं बेवज़ह क्यों मुस्कुराता हूँ।
#NareshChoudhary❣
ज़िन्दगी के धागे सुलझाना चाहता हूँ।
किसी बिखरे हुए शख्स के पास जाना चाहता हूँ।
मेरे सीने का जो दर्द पढ़ ले,बस उसे सीने से लगाना चाहता हूँ।
बर्बादी के किस्से छोड़ आबादी के गीत गुनगुनाना चाहता हूँ।
वैसे तो खुदा पर विश्वास रहा नहीं, पर उस शख्स को ख़ुदा बनाना चाहता हूँ।
हैरत होती कभी ख़ुद को सोच कर,उसे सोच सोच अब मुस्कुराना चाहता हूँ।
बीता कल बीती बातें, सब भूलकर उसे आज दिखाना चाहता हूँ।
पढ़कर जो मुझे दिल से मुस्कुराए,
मैं उसे अपने लफ़्ज़ों में लाना चाहता हूँ।
होता है जीना मरने से मुश्किल।
बस ये बात अब दुनिया को बताना चाहता हूँ।
#Naresh Choudhary❣
गिरा तो फ़िर कभी,उठा ना मिला
बंदों का हुज़ूम था,खुदा ना मिला
ज़िस्म ना मिले,तो क्या हुआ यार
वो दिल से कभी, जुदा ना मिला
परिंदों के जैसा था, इश्क़ उसका
कोई वादा, कोई वास्ता ना मिला
ऐसे हुआ दिल पर,कब्ज़ा उसका
धड़कनों को भी, रास्ता ना मिला
उसके शाहपरस्त भी हैं,बादशाह
कोई भी पत्थर,तरास्ता ना मिला
चुप रह कर, ये क़माल देखने लगा
उस शिकारी का,ज़ाल देखने लगा
उसने कहा, देखो आ गया समंदर
और मैं अपना, रुमाल देखने लगा
पहले उसने मेरा सर रखा,कंधे पर
फिर वो भीगे हुए,गाल देखने लगा
इसको नया इश्क़,मंज़ूर ही कहां है
दिल फिर पुराना,साल देखने लगा
याद आ गए,फिर उसके गाल मुझे
मैं होली में जब,गुलाल देखने लगा
और जब निवाला देकर,ली फोटो
मुस्कुरा के मैं, हड़ताल देखने लगा
माना की तुम्हें, Dp, story aur status में नहीं लगा सकते,
पर यक़ीन मानो तुम्हें जहां भी रखा है बहुत महफ़ूज़ रखा है ..!
ना नीम, ना हकीम, ना किसी आलिम से हल होंगे,
ये मेरे दिल के मसले हैं
मुर्शिद....
उसी जालिम से हल होंगे....
Smile.....
गर जो महबूब होता तो लिख देते गजलें कई,
आसमा के चांद को ही, सराहें कैसे रात भर।
तुमने देखा ही नहीं, पेड़ से पत्तों का गिरना,
कुछ यूं पतझड़ मुझे भी काट कर गुजरा है।
मैंने देखा था तुझे कई बार, पलट कर लेकिन..
तेरी आंखों में फिर मिलने का इरादा ही नहीं था।
तुम्हारे चेहरे से रोशन हो जाती हैं रातें मेरी,
मुझे किसी चांद का इंतजार नहीं होता...!
हमसे क्या,ये ज़माना चाहता है
हर शख्स उसे, पाना चाहता है
क्या दिख रहा है आईने में मुझे
क्या आइना दिखाना चाहता है
वही करता है रोशनी मेरे घर में
वही चिराग़, बुझाना चाहता है
वही दिखाता है ख़्वाब दिल को
वही मुझको, जगाना चाहता है
वही बना रहा है, घर मेरे लिए
वही तो आग,लगाना चाहता है
ऐसे लगा के चांद बादलों से बाहर आ गया,
अपने चेहरे से यूं लटों को हटाया ना कीजिए ।
राहें बदले या बदले वक्त, l हम तो अपनी मँजिल पायेंगे,जो समझते है खुद को बादशाह, एकदिनउसे अपने दरबार में जरूर नचायेगे।।।
कई गजलें लिखी उनकी इक तस्वीर देखकर,
लफ्ज लफ्ज बिखर गया उन्हें रूबरू देखकर।
धीरे से लबों पे
पिघला है यह सवाल.......
तू ज़्यादा ख़ूबसूरत है
या तेरा ख़्याल.......!!
Naresh
मौसम वही, सर्दी वही, वही दिलकश नवम्बर है
चाय वही,अदरक वही, वही दिल में बवंडर है....
Naresh
दर्द देकर खुद सवाल करते हो,
तुम भी गालिब, कमाल करते हो;
देख कर पुछ लिया हाल मेरा,
चलो इतना तो ख्याल करते हो;
शहर-ए-दिल मेँ उदासियाँ कैसी,
ये भी मुझसे सवाल करते हो;
मरना चाहे तो मर नही सकते,
तुम भी जीना मुहाल करते हो;
अब किस-किस की मिसाल दूँ तुमको,
तुम हर सितम बेमिसाल करते हो।
- मिर्ज़ा ग़ालिब
अरसा हुआ है बिछड़े हुए,पर आज भी ख्याल आता है तेरा....
रुक जाती है कलम लिखने से पहले अगर कहीं नाम आता है तेरा..!
मजबूरियां हर पल मेरी आस में रहती है,
वो खाक़ छानते हैं नमी घास में रहती है !
अमीरें शहर तलाशता है मखमल को,
गरीबी की सारी थकान गिलास में रहती है !
धीरे धीरे कपड़े घटते जा रहे हैं अमीरी के,
उधर देखों गरीबी पूरे लिबास में रहती है !
ऊंचे दर्जों में तो फ़क़्त फिकरें सताती हैं,
मौज़ तो यार पाँचवी क्लास में रहती है !
✎Naresh_Choudhary
कद्रदान तो सारा ज़माना है हमारा...
एक उसके आगे ही बेहुनर हो जाते हैं हम...
उड़ने दे इन परिन्दो को आज़ाद फ़िज़ा में ग़ालिब,
जो तेरे अपने होंगे, वो लौट आएंगे किसी रोज़
हम आएंगे अगर तो हर जुबान पर चर्चें होंगे
हमारा आना तुम्हारे शहर में आम बात नहीं होगी।
तेरी उम्मीद ले कर बैठती हैं दरवाजे पर
मेरी आंखों की ये आदत जाति क्यों नहीं हैं।
हसीन सफर है संग तू अगर है,
मत पूछ मोहब्बत हमे किस क़दर है..!!
पल पल हर पल बस तेरी फ़िक्र है,
जहां भी देखूं बस तेरा जिक्र है..!!
दवा - ए - इश्क़ जो दी तूने हर दर्द अब बे असर है,
वाक़िफ तो है तुझसे मगर, दिल खुद से बे खबर है..!!
#Naresh
कोई प्यार से जरा सी फुंक मार दे तो बुझ जाऊं.....!!
नफरत से तो तुफान भी हार गए मुझे बुझाने में.....!!
सनम चाहने से बनते है बना लेंगे चाह कर किसी को,
आगाज ही हुआ है इश्क का अभी तो ये अंजाम नहीं।
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें तुम्हारी शख्सियत की खबर...
कभी मेरी आँखों से आकर पूछो कि कितने लाजवाब हो तुम..
उतर तू भी किसी रोज़ रूह में मेरी,
जैसे रोज़ उतरते हैं आँखों में ख़्वाब तेरे...!!
#Naresh
शायद किसी लकीर में मिल जाऊं,
मुझे क़रीब से देखने दे हथेली तेरी।।
जिनके होने से होती थी रोनकें ज़िंदगी में
मुर्शीद हमसे हमारे वो दोस्त भी बिछड़ गए।
रेत को हवा का सहारा चाहिए।
कश्ती को दरिया का किनारा चाहिए।
मुझे ना मंजिल चाहिए ना मकांं चाहिए ।
ऐ दोस्त मुझे तो बस साथ तुम्हारा चाहिए।
अब आग के लिबास को ज़्यादा न दाबिए,
सुलगी हुई कपास को ज़्यादा न दाबिए ।
ऐसा न हो कि उँगलियाँ घायल पड़ी मिलें,
चटके हुए गिलास को ज़्यादा न दाबिए ।
चुभकर कहीं बना ही न दे घाव पाँव में,
पैरों तले की घास को ज़्यादा न दाबिए ।
मुमकिन है ख़ून आपके दामन पे जा लगे,
ज़ख़्मों के आसपास यों ज़्यादा न दाबिए ।
पीने लगे न ख़ून भी आँसू के साथ-साथ,
यों आदमी की प्यास को ज़्यादा न दाबिए ।
तुम न मिल पाए तो शिद्दत से ख्याल आने लगा,
हाय उन लोगों की तकलीफ़ जिन्हें हम न मिले!
*आँखे खुली है मगर हम उनके ख्यालो मे डूबे है
*उनकी बेवजह बेरुखी से आजकल मेरे दिल टूटे है
#Naresh
वो इनकार कर देगा तो रिश्ता दोस्ती का
भी टूट जाएगा
हमने यही सोच कर उनसे मोहब्बत का
इजहार नहीं किया।
इरादे उम्मीदों के,सख़्त लगते हो
तुम मुझे मेरा,बुरा वक्त लगते हो
होठों पर नज़र,नहीं जाती है क्या
माथा चूम कर,क्यू लगे लगते हो
यार लहज़ा ऐसा, क्यूं है तुम्हारा
देखने में,इंसान तो भले लगते हो
तुम्हे क्या पता,दिल कहतें हैं इसे
तुम जो खिलोने, बेचने लगते हो
सच्चा इश्क़ ही तो, मांगा है मैंने
हर बार ये क्या, सोचने लगते हो
उदास हो कर कहते हैं,अलविदा
जब तुम ये,घड़ी देखने लगते हो
के कुछ पहेलियां भी,समझा करो
तुम मतलब,क्यों पूछने लगते हो
कोई ख्याल बचा कर,रखो भैरव
तुम तो बस,कलम ढूढने लगते हो
मुझे उल्फत बस तुझ ही से हैं
वरना तुझ से भी हसीन है दीवाने मेरे।
तुम्हारे बाद नहीं की मोहब्बत किसी से
हमें एक ठोकर काफी रही संभलने के लिए।
अब आप क्यूं दिखा रहे हैं अपनापन
अब आपको कोन से तमाशे करने है।
दूर से ही हाथ हिला के चला जाऊंगा।
मैं तुमसे नजरे मिला के चला जाऊंगा।
नजरअंदाज कर देना ज़माने की तरह तुम भी,
नशे में हूं चिल्लाऊंगा चिल्ला के चला जाऊंगा।
हर वजह खत्म कर दूंगा मैं अपने लौटने की,
मत सोचना कि उम्मीद दिला के चला जाऊंगा।
मिटा दूंगा हर एक निशानी मोहब्बत की,
मैं अपना आशियाना जला के चला जाऊंगा।
जिसकी खुशबू से महक उठे सारा जमाना,
मैं वो फूल चमन में, खिला के चला जाऊंगा।
याद रखो न रखो, फ़ैसला तुम्हारा है "शिवम"
मैं इक बार चेहरा, दिखला के चला जाऊंगा।
❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀
-SIMPLE BOY
अनजान महफ़िल मे बेवजह जाने की आदत नहीं है
तेरे सिवा किसी और की ख्वाहिश नहीं है
ᴡʀɪᴛᴛᴇɴ ʙy »Naresh
Love Shayri लव शायरी
आज फिर यादों ने दस्तक दी,
और जहन में उनका चेहरा छा गया,
कुछ बीते लम्हे छू गए फिर से,
और ज़ुबां पे उनका नाम आ गया..!!
सुनो आज अपनी क़िस्मत सुनाता हूँ।
गिरता बहुत हूँ, पर वक़्त रहते संभल जाता हूँ।
वैसे हमदम मेरे बहुत सारे है।
पर ज़रूरत पर दोनों हाथ ख़ाली पाता हूँ।
सोचा था इस साल उसे भूल जाऊँगा।
खुद को हर लम्हा उसके क़रीब पाता हूँ।
मैंने ख़ुद बग़ावत कई बार करनी चाही।
उसकी एक आवाज़ औऱ मैं खुद को चलता पाता हूँ।
तकलीफ़ कितनी भी हो इस बेबस दिल को।
मग़र ख़ुद को मुस्कुराता पाता हूँ।
मुझे आबाद करने में चांद तारे सब थे।
आज भीड़ में भी ख़ुद को अकेला पाता हूँ।
किसी ने कहा था मुझसे हँसने से ग़म दूर हो जाते है।
अब समझे मैं बेवज़ह क्यों मुस्कुराता हूँ।
#NareshChoudhary❣
ज़िन्दगी के धागे सुलझाना चाहता हूँ।
किसी बिखरे हुए शख्स के पास जाना चाहता हूँ।
मेरे सीने का जो दर्द पढ़ ले,बस उसे सीने से लगाना चाहता हूँ।
बर्बादी के किस्से छोड़ आबादी के गीत गुनगुनाना चाहता हूँ।
वैसे तो खुदा पर विश्वास रहा नहीं, पर उस शख्स को ख़ुदा बनाना चाहता हूँ।
हैरत होती कभी ख़ुद को सोच कर,उसे सोच सोच अब मुस्कुराना चाहता हूँ।
बीता कल बीती बातें, सब भूलकर उसे आज दिखाना चाहता हूँ।
पढ़कर जो मुझे दिल से मुस्कुराए,
मैं उसे अपने लफ़्ज़ों में लाना चाहता हूँ।
होता है जीना मरने से मुश्किल।
बस ये बात अब दुनिया को बताना चाहता हूँ।
#Naresh Choudhary❣
गिरा तो फ़िर कभी,उठा ना मिला
बंदों का हुज़ूम था,खुदा ना मिला
ज़िस्म ना मिले,तो क्या हुआ यार
वो दिल से कभी, जुदा ना मिला
परिंदों के जैसा था, इश्क़ उसका
कोई वादा, कोई वास्ता ना मिला
ऐसे हुआ दिल पर,कब्ज़ा उसका
धड़कनों को भी, रास्ता ना मिला
उसके शाहपरस्त भी हैं,बादशाह
कोई भी पत्थर,तरास्ता ना मिला
चुप रह कर, ये क़माल देखने लगा
उस शिकारी का,ज़ाल देखने लगा
उसने कहा, देखो आ गया समंदर
और मैं अपना, रुमाल देखने लगा
पहले उसने मेरा सर रखा,कंधे पर
फिर वो भीगे हुए,गाल देखने लगा
इसको नया इश्क़,मंज़ूर ही कहां है
दिल फिर पुराना,साल देखने लगा
याद आ गए,फिर उसके गाल मुझे
मैं होली में जब,गुलाल देखने लगा
और जब निवाला देकर,ली फोटो
मुस्कुरा के मैं, हड़ताल देखने लगा
माना की तुम्हें, Dp, story aur status में नहीं लगा सकते,
पर यक़ीन मानो तुम्हें जहां भी रखा है बहुत महफ़ूज़ रखा है ..!
ना नीम, ना हकीम, ना किसी आलिम से हल होंगे,
ये मेरे दिल के मसले हैं
मुर्शिद....
उसी जालिम से हल होंगे....
Smile.....
गर जो महबूब होता तो लिख देते गजलें कई,
आसमा के चांद को ही, सराहें कैसे रात भर।
तुमने देखा ही नहीं, पेड़ से पत्तों का गिरना,
कुछ यूं पतझड़ मुझे भी काट कर गुजरा है।
मैंने देखा था तुझे कई बार, पलट कर लेकिन..
तेरी आंखों में फिर मिलने का इरादा ही नहीं था।
तुम्हारे चेहरे से रोशन हो जाती हैं रातें मेरी,
मुझे किसी चांद का इंतजार नहीं होता...!
हमसे क्या,ये ज़माना चाहता है
हर शख्स उसे, पाना चाहता है
क्या दिख रहा है आईने में मुझे
क्या आइना दिखाना चाहता है
वही करता है रोशनी मेरे घर में
वही चिराग़, बुझाना चाहता है
वही दिखाता है ख़्वाब दिल को
वही मुझको, जगाना चाहता है
वही बना रहा है, घर मेरे लिए
वही तो आग,लगाना चाहता है
ऐसे लगा के चांद बादलों से बाहर आ गया,
अपने चेहरे से यूं लटों को हटाया ना कीजिए ।
राहें बदले या बदले वक्त, हम तो अपनी मँजिल पायेंगे,जो समझते है खुद को बादशाह, एकदिनउसे अपने दरबार में जरूर नचायेगे।।।
कई गजलें लिखी उनकी इक तस्वीर देखकर,
लफ्ज लफ्ज बिखर गया उन्हें रूबरू देखकर।
धीरे से लबों पे
पिघला है यह सवाल.......
तू ज़्यादा ख़ूबसूरत है
या तेरा ख़्याल.......!!
Naresh
मौसम वही, सर्दी वही, वही दिलकश नवम्बर है
चाय वही,अदरक वही, वही दिल में बवंडर है....
Naresh
दर्द देकर खुद सवाल करते हो,
तुम भी गालिब, कमाल करते हो;
देख कर पुछ लिया हाल मेरा,
चलो इतना तो ख्याल करते हो;
शहर-ए-दिल मेँ उदासियाँ कैसी,
ये भी मुझसे सवाल करते हो;
मरना चाहे तो मर नही सकते,
तुम भी जीना मुहाल करते हो;
अब किस-किस की मिसाल दूँ तुमको,
तुम हर सितम बेमिसाल करते हो।
- मिर्ज़ा ग़ालिब
अरसा हुआ है बिछड़े हुए,पर आज भी ख्याल आता है तेरा....
रुक जाती है कलम लिखने से पहले अगर कहीं नाम आता है तेरा..!
मजबूरियां हर पल मेरी आस में रहती है,
वो खाक़ छानते हैं नमी घास में रहती है !
अमीरें शहर तलाशता है मखमल को,
गरीबी की सारी थकान गिलास में रहती है !
धीरे धीरे कपड़े घटते जा रहे हैं अमीरी के,
उधर देखों गरीबी पूरे लिबास में रहती है !
ऊंचे दर्जों में तो फ़क़्त फिकरें सताती हैं,
मौज़ तो यार पाँचवी क्लास में रहती है !
✎Naresh_Choudhary
कद्रदान तो सारा ज़माना है हमारा...
एक उसके आगे ही बेहुनर हो जाते हैं हम...
उड़ने दे इन परिन्दो को आज़ाद फ़िज़ा में ग़ालिब,
जो तेरे अपने होंगे, वो लौट आएंगे किसी रोज़
हम आएंगे अगर तो हर जुबान पर चर्चें होंगे
हमारा आना तुम्हारे शहर में आम बात नहीं होगी।
तेरी उम्मीद ले कर बैठती हैं दरवाजे पर
मेरी आंखों की ये आदत जाति क्यों नहीं हैं।
हसीन सफर है संग तू अगर है,
मत पूछ मोहब्बत हमे किस क़दर है..!!
पल पल हर पल बस तेरी फ़िक्र है,
जहां भी देखूं बस तेरा जिक्र है..!!
दवा - ए - इश्क़ जो दी तूने हर दर्द अब बे असर है,
वाक़िफ तो है तुझसे मगर, दिल खुद से बे खबर है..!!
#Naresh
कोई प्यार से जरा सी फुंक मार दे तो बुझ जाऊं.....!!
नफरत से तो तुफान भी हार गए मुझे बुझाने में.....!!
सनम चाहने से बनते है बना लेंगे चाह कर किसी को,
आगाज ही हुआ है इश्क का अभी तो ये अंजाम नहीं।
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें तुम्हारी शख्सियत की खबर...
कभी मेरी आँखों से आकर पूछो कि कितने लाजवाब हो तुम..
उतर तू भी किसी रोज़ रूह में मेरी,
जैसे रोज़ उतरते हैं आँखों में ख़्वाब तेरे...!!
#Naresh❤️
शायद किसी लकीर में मिल जाऊं,
मुझे क़रीब से देखने दे हथेली तेरी।।
जिनके होने से होती थी रोनकें ज़िंदगी में
मुर्शीद हमसे हमारे वो दोस्त भी बिछड़ गए।
रेत को हवा का सहारा चाहिए।
कश्ती को दरिया का किनारा चाहिए।
मुझे ना मंजिल चाहिए ना मकांं चाहिए ।
ऐ दोस्त मुझे तो बस साथ तुम्हारा चाहिए।
अब आग के लिबास को ज़्यादा न दाबिए,
सुलगी हुई कपास को ज़्यादा न दाबिए ।
ऐसा न हो कि उँगलियाँ घायल पड़ी मिलें,
चटके हुए गिलास को ज़्यादा न दाबिए ।
चुभकर कहीं बना ही न दे घाव पाँव में,
पैरों तले की घास को ज़्यादा न दाबिए ।
मुमकिन है ख़ून आपके दामन पे जा लगे,
ज़ख़्मों के आसपास यों ज़्यादा न दाबिए ।
पीने लगे न ख़ून भी आँसू के साथ-साथ,
यों आदमी की प्यास को ज़्यादा न दाबिए ।
तुम न मिल पाए तो शिद्दत से ख्याल आने लगा,
हाय उन लोगों की तकलीफ़ जिन्हें हम न मिले!
*आँखे खुली है मगर हम उनके ख्यालो मे डूबे है
*उनकी बेवजह बेरुखी से आजकल मेरे दिल टूटे है
#Naresh✍
वो इनकार कर देगा तो रिश्ता दोस्ती का
भी टूट जाएगा
हमने यही सोच कर उनसे मोहब्बत का
इजहार नहीं किया।
इरादे उम्मीदों के,सख़्त लगते हो
तुम मुझे मेरा,बुरा वक्त लगते हो
होठों पर नज़र,नहीं जाती है क्या
माथा चूम कर,क्यू लगे लगते हो
यार लहज़ा ऐसा, क्यूं है तुम्हारा
देखने में,इंसान तो भले लगते हो
तुम्हे क्या पता,दिल कहतें हैं इसे
तुम जो खिलोने, बेचने लगते हो
सच्चा इश्क़ ही तो, मांगा है मैंने
हर बार ये क्या, सोचने लगते हो
उदास हो कर कहते हैं,अलविदा
जब तुम ये,घड़ी देखने लगते हो
के कुछ पहेलियां भी,समझा करो
तुम मतलब,क्यों पूछने लगते हो
कोई ख्याल बचा कर,रखो भैरव
तुम तो बस,कलम ढूढने लगते हो
मुझे उल्फत बस तुझ ही से हैं
वरना तुझ से भी हसीन है दीवाने मेरे।
तुम्हारे बाद नहीं की मोहब्बत किसी से
हमें एक ठोकर काफी रही संभलने के लिए।
अब आप क्यूं दिखा रहे हैं अपनापन
अब आपको कोन से तमाशे करने है।
दूर से ही हाथ हिला के चला जाऊंगा।
मैं तुमसे नजरे मिला के चला जाऊंगा।
नजरअंदाज कर देना ज़माने की तरह तुम भी,
नशे में हूं चिल्लाऊंगा चिल्ला के चला जाऊंगा।
हर वजह खत्म कर दूंगा मैं अपने लौटने की,
मत सोचना कि उम्मीद दिला के चला जाऊंगा।
मिटा दूंगा हर एक निशानी मोहब्बत की,
मैं अपना आशियाना जला के चला जाऊंगा।
जिसकी खुशबू से महक उठे सारा जमाना,
मैं वो फूल चमन में, खिला के चला जाऊंगा।
याद रखो न रखो, फ़ैसला तुम्हारा है "शिवम"
मैं इक बार चेहरा, दिखला के चला जाऊंगा।
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-SIMPLE BOY
अनजान महफ़िल मे बेवजह जाने की आदत नहीं है
तेरे सिवा किसी और की ख्वाहिश नहीं है
ᴡʀɪᴛᴛᴇɴ ʙy »Naresh✍
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आपका समर्थन हमारी प्रेरणा है। कृपया हमारे साथ जुड़े रहें और हमें अपने विचार साझा करते रहें। धन्यवाद!"