रमणियां रा सोरठा / कन्हैया लाल सेठिया

 कन्हैया लाल सेठिया

संग्रह  - रमणियां रा सोरठा / कन्हैया लाल सेठिया

1 से 69 सोरठा कन्हैयालाल सेठिया द्वारा रचित 





1.
नहीं मन्दिर में वास, नहीं मसजिद में मैं बसूं
मैं भगतां रो दास, रमतो जोगी रमणियां।

2.
काया मैळो काप, स्याबण है हरि नाम री
कर ले बिण स्यूं साफ, रजक करै ज्यूं रमणियां।

3.
साधू धारयो नाम, पण है बै बाधू असल
टुकड़ां तांई चाम, रंगै राख में रमणियां।

4.
अणहूंत झूठा फैल, निभ्या न निभसी ड़ोकरां
सदा जमानै गैल, रीत चालसी रमणियां।

5.
कायर होय अनेक, वीर भगावै एकलो
ज्यूं लाळी नै देख, रेवड़ भागै रमणियां।

6.
राखै मन में कोड, रंग भूमि समझै सदा
रण-राता राठौड़, रण खेतर नै रमणियां।

7.
जको करै धन नाद, बो बरसै माड़ो घणो
बिरथ करै बकवाद, रोळागारो रमणियां।

8.
हिम्मत रा सुख साज, हिम्मत री कीमत घणी
रींक्या दै कुण राज, रींक मती तू रमणियां ?

9.
भूतां का सा भेश, धूळ उड़ै मेदा बिन्या
इसड़ो म्हाँरो देश, रूंख बिना रो रमणियां।

10.
नहीं रोग रो लेश, मिनख निरोगा सै घणाँ
मनवारां रो देश, राजपुतानूं रमणियां।


11.
चरखो सचो शस्त्र, मिटै गरीबी देश री
छोड़ विदेशी वस्त्र, रेजी धारो रमणियां।

12.
भैंस समुख संगीत, त्यों मूरख नै समझावणो
भलो बठै ही गीत, जठैं रसिक हैं रमणियां।

13.
पल राजा पल रंक नर पींडी रो मोल के ?
रावण राजा लंक रेत में रमणियां।

14.
के निर्धन धनवान, चाकर सै करतार रा
धन यौवन अभियान, रंच न कीजै रमणियां।

15.
सुख में गावो गान, क्यों दुख में रोवो भला
सुख दुख एक समान, रमो सदा ही रमणियां

16.
पर निन्दा हुुँशियार, मूंडै मिठ बोला घणाँ
इसड़ा नर बदकार, रहो न साथै रमणियां।

17.
बीती ताहि बिसार, आगैरी सुध राख तू
घबड़ा कर मझधार, रूळ जाज्यो मत रमणियां।

18.
राख ताकड़ी तोल, कर खरचो पैदा जिस्यो
राख जमा री ओळ, रोकड़ बाकी रमणियां।

19.
बसन्त में कष्मीर, गरमी में षिमलो भालो
सुखकर बीकानीर, रूत सावण री रमणियां।

20.
करै अैश अराम, मिनख हुया सै पांगळा
बण्या ठौड रा ठाम, रही न हिम्मत रमणियां।

21.
कुण कीं रै है साथ, बणी रा सीरी सगळा
उद्यम राखो हाथ, रिणक मती तू रमणियां।

22.
बैंत हुया बेकाम, कुण पूछै है ऊँट नै ?
कम खरचो आराम, रेल बणी जद रमणियां।

23.
मीठा बचन उचार, सुख पावै काया घणी
कडुआ बोल्यां खार, रंग रचावै रमणियां।

24.
धन हो जद हा यार, मुख मीठा घण बोळणा
पड़ी गरीबी मार, रोट्यां मूंघी रमणियां।

25.
राख्यो चावै नाम, पर उपगारी जीव बण
नहीं’स अै धन धाम, रद्दी ज्यूं रमणियां।

26.
खावो राबड रोट, करो भजन करतार रो
मस्त बण्यो रह सोट, रागड़दो ज्यूं रमणियां।

27.
जा बिध राखै राम, ता बिध ही रहणो भलो
चिन्ता रो कै काम, रहो मौज में रमणियां।

28.
धीरज स्यूँ कर जेज, काम करो सगळो सफळ
ऊबा खेजड़ बेज, कदै न हूवै रमणियां।

29.
जिण दीन्ही है चूंच, चून भी बो ही देसी।
कुण नीचो कुण ऊँच, रैयत है सब राम री।

30.
सांची लागै बात, खारी जाणै नीम ज्यूँ
उल्लू न परभात, रीस न कीजै रमणियां।

31.
बुरी भांग तमाख, बुरो सुरा रो सेवणो
नशो भजन रो राख, रंग राचैळो रमणियां।

32.
लाग्यां लातां थाप, नीच हुवै सीधा सणक
काठ होय ज्यूँ साफ, रंदो लाग्यां रमणियां।

33.
दै गरीबा नै दान, यदि मिळणो चावै राम स्यूँ
तज झूठो कुळ मान, राम मिलैलो रमणियां।

34.
धार चित्त में धीर, औगुण स्यूँ गुण टाळ तू
पय पीवै तज नीर, राजहंस ज्यूँ रमणियां।

35.
क्यों झूठा गाळो हाड, चिन्ता में गळ गळ मरो
देसी छाप्पर फाड़, रंज करो किम रमणियां।

36.
मन ढीलो मत छोड, वश राखो काठो पकड़
मन है बांको घोड़, रास बिना रो रमणियां।

37.
सीसोदां मेवाड़, कछवाहा जैपर बसै
थळी देश मरवाड़, राठौड़ी में रमणियां।

38.
बरस हुया है तीन, छांट एक बरसे नहीं
मिनख बिकल ज्यूँ मीन, रासो काई रमणियां।

39.
जाय भलां ही जीव, वचन कदै छोड़ै नहीं
इसड़ा राखै हीव, राजस्थानी रमणियां।

40
पिक-वायस इक सार, दोन्यां में है फरक के
(पण) बोळी स्यूं पहचाण, रंग करै के रमणियां ?

41.
कुण किण नै दै मार, कुण किण नै देवै जिवा
मन में राख विचार, राम रूखाळो रमणियां।

42.
भूल न कीजै साथ, जका मिनख खोटा घणां
गळै पड़ै बिन बात, रस्तै बैंतां रमणियां।

43.
बुरो फूट रो काम, मन में ल्यावै आंतरो
चावो सुयश नाम, रळ मिल चालो रमणियां।

44.
मन में आवै राग, बेमतलब री बात स्यूं
ज्यूं चन्दन में आग, रगड़ जगावै रमणियां।

45.
बिन विद्या बिन बुध, पौरूष खाली के करै
कद जीती ज्या जुद्ध, रंगरूटां स्यूं रमणियां ?

46.
लालच बुरी बलाय, ळूणा घलावै खीर में
दिन दिन अधिक बधाय, रबड़ बधै ज्यूं रमणियां।

47.
जीभ बढावै बैर, जीभ जुड़ावै प्रीत ने
राखी चाहो खैर, रसना वश में रमणियां।

48.
रयां नीच रै सीर, हुवै भलो भी बिण जिस्यो
तिक्त हुवै नद नीर, रळ सागर में रमणियां।

49.
एक ज्ञान री बात, हरै भरम मन रो नरां
ज्यूं चमकावै रात, चांद एकलो रमणियां।

50.
समय बडो बलवान, समय करावै काम सै
सरै न कोई काम, रंज कर्यां स्यूं रमणियां।

51.
मन में घणो हुंश्‍यार, पूंछ न जाणै आंक री
छलकै बारम्बार, रीतो मटको रमणियां।

52.
होनहार सो होय, करम लिखेड़ी ना टळै
जो नर मूरख होय, रूदन मचावै रमणियां।

53.
अस्थिर हैं संसार, गरब न कीजै भूल कर
ले ज्यासी जण च्यार, रथी बणा कर रमणियां।

54.
स्वारथ में सै सीर, बगत पड़या बदळै नयन
ज्यूं किरड़े रो कीर, रंग बणावै रमणियां।

55.
निर्बळ रो बळ राम, आ कैवत कहतां सुणी
सिमरू बिण रो नाम, राम आसरो रमणियां।

56.
कर दै कालो रंग ज्यूं, हाथ लगाया लगाया कोयलो
त्यूं रूळपट रो संग, रहो न साथै रमणियां।

57.
हुवै नाम बदनाम, इज्जत रा टक्का हुवै
जग हांसी कुळ हाण, रोळ कर्यां स्यूं रमणियां।

58.
चिन्ता दुःख को धाम, तन देवै सगळो गळा
ज्यूं जूतै रो चाम, रांपी छेकै रमणियां।

59.
कहसी बात बिचार, देख समैं री चाल नै
बो ही नर हुंष्यिार, रेख राखसी रमणियां।

60.
आँसू हिय रो हार, गाळै मर रै मैळ नै
ज्यूं कपड़ा रो खार, रीठो काटै रमणियां।


61.
(ज्यूं) हंसा करत जुहार, सूख्यो सरवर देख कर
(त्यूं) मुतलबियो संसार, राख चीत तू रमणियां।

62.
स्वारथ रो संसार, बिन स्वारथ बोलै नहीं
गिरधर है आधार, रीझ भजो थे रमणियां।

63.
बो तो है सब ठौर, मन्दिर मसजिद के धर्यो ?
करो जठै ही गौर, रमै बठै ही रमणियां।

64.
जठै मिलै सनमान, बठै ही बैठक भली
जठै सुयष री हाण, रहो न पल भर रमणियां।

65.
समझो जठै ही देव, च्यानणूं हिव में रखो
नहीं भींत रो लेव, रीझ न जाज्यो रमणियां।

66.
धरम एक आधार, साथ न छोड़ै अन्त तक
धन धरती संसार, रवै न साथै रमणियां।

67.
फळ करणी रा त्यार, पड़सी सै नै भुगतणां
करो उपाय हजार, रती न छुटैं रमणियां।

68.
मौज मजा आराम, कर भलाईं मिनख तूं
भज पण हरि रो नाम, रीझ घड़ी भर रमणियां।

69.
गरज सरै कद केह, बता सरूं भोळा मिनख ?
छीजै खाळी देह, रीस कियां स्यूं रमणियां।

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