Gazal by Naru shayar

 Naresh choudhary deepla 

Gazal by naru shayar 


लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं 

इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं


 मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ 

रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं 










नींद से मेरा त'अल्लुक़ ही नहीं बरसों से

 ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं 


मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए 

और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं

- Naru shayar 




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